पत्थलगांव : नगर में धूमधाम से चल रही मां दुर्गा की आराधना, भक्तिमय वातावरण में डूबा पूरा क्षेत्र, 8वें दिन आज महागौरी का पूजन

पत्थलगांव : नगर में धूमधाम से चल रही मां दुर्गा की आराधना, भक्तिमय वातावरण में डूबा पूरा क्षेत्र, 8वें दिन आज महागौरी का पूजन

Dipesh rohila
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पत्थलगांव(दिपेश रोहिला) । शारदीय नवरात्र का पर्व पूरे श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है। पत्थलगांव नगर ही नहीं बल्कि आसपास के गांव भी इन दिनों देवी भक्ति में सराबोर दिखाई दे रहे हैं। परंपरा के अनुरूप नगर के तीनों मुख्य मार्गों समेत ग्राम क्षेत्रों में विगत कई वर्षों से दुर्गा प्रतिमाओं को विराजमान कर विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। लोगों के सामूहिक सहयोग और गहन आस्था से यह आयोजन अब पूरे इलाके की पहचान बन चुका है और प्रत्येक वर्ष एक नई ऊर्जा का संचार करता है। नवरात्र का शुभारंभ प्रथम दिवस भव्य कलश यात्रा के साथ हुआ था। इस अवसर पर सैकड़ों महिलाएं और युवतियां पारंपरिक परिधानों में सुसज्जित होकर शामिल हुईं। कलश यात्रा के दौरान नगर का वातावरण वंदनाओं और जयकारों से गूंज उठा। तभी से आज लगातार 8 दिनों तक मां दुर्गा की उपासना का क्रम जारी है। आठवें दिन महागौरी स्वरूप की आराधना के साथ भक्तों ने विशेष अनुष्ठान किए। प्रतिदिन अनेकों पांडाल में मां भगवती का भव्य भंडारा आयोजन किया जा रहा जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं द्वारा प्रसाद ग्रहण किया जा रहा है।


सुबह और शाम दोनों समय नियमित रूप से पूजन और आरती का आयोजन हो रहा है। आरतियों में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होकर वातावरण को और भी आध्यात्मिक बना रहे हैं। जगह-जगह सजे पंडाल, झालरों की जगमगाहट और रंग-बिरंगी रोशनी से नगर का दृश्य मनमोहक प्रतीत हो रहा है। इन धार्मिक कार्यक्रमों के साथ ही रात्रि में आयोजित गरबा नृत्य,जगराता एवं अन्य कार्यक्रमों ने इस उत्सव की छटा को और भी आकर्षक बना दिया है। छोटे-बड़े और बच्चे सभी उत्साहपूर्वक भाग लेकर सामूहिक एकता और सौहार्द का परिचय दे रहे हैं। भक्ति संगीत का भी विशेष महत्व है। मां के भजनों की गूंज से पूरा क्षेत्र भक्तिरस से सराबोर हो जाता है। ढोल, मांझिरा और अन्य वाद्ययंत्रों की थाप पर श्रद्धालु झूमते और नृत्य करते नजर आते हैं। इस दौरान वातावरण में ऐसी ऊर्जा और सकारात्मकता व्याप्त हो जाती है, जो हर किसी को आध्यात्मिक शांति का अनुभव कराती है।
सिर्फ नगर ही नहीं, बल्कि ग्राम सुखरापारा, कछार, इंजको(वन देवी मंदिर), लुड़ेग, तमता और इला जैसे आसपास के गांव भी दुर्गा महोत्सव में पूरी आस्था से सहभागी बने हुए हैं। ग्रामीणों ने मिलकर मां की प्रतिमाओं का स्वागत किया और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन कर उत्सव को ऐतिहासिक बना दिया। इससे गांव-गांव में एकजुटता और धार्मिक सहयोग की भावना प्रकट होती है। स्थानीय लोगों का कहना है कि मां दुर्गा की कृपा से नगर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है। इस महोत्सव से नई पीढ़ी को भी भारतीय संस्कृति और परंपराओं से जुड़ने का अवसर प्राप्त होता है।
नवरात्र के दौरान होने वाला यह सामूहिक आयोजन न केवल धार्मिक विश्वास का प्रतीक है बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक समरसता का भी उदाहरण है, भक्तों का विश्वास है कि मां दुर्गा की आराधना से क्षेत्र में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यही कारण है कि प्रत्येक वर्ष नवरात्र का पर्व पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता है और यह परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी और भी भव्य रूप लेती जा रही है। इस बार भी नगर सहित आसपास के गांवों में देवी भक्ति की गूंज हर ओर सुनाई दे रही है, जिससे पूरा क्षेत्र भक्तिमय वातावरण में डूब गया है।








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