क्या पत्थलगांव के जनता की जिंदगी भगवान भरोसे? सड़कों की बदहाली पर उठ रहे तरह–तरह के सवाल

क्या पत्थलगांव के जनता की जिंदगी भगवान भरोसे? सड़कों की बदहाली पर उठ रहे तरह–तरह के सवाल

Dipesh rohila
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कई मर्तबा घट चुकी घटनाएं, हो चुकी सड़के खून से लाल लाल
पत्थलगांव(दिपेश रोहिला) । पत्थलगांव नगर की सड़कों की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं है। बरसात के दिनों में तो हालात और भी भयावह हो जाती है। प्रतिवर्ष यही स्थिति दोहराई जाती है, लेकिन जिम्मेदार विभाग और अधिकारी मौन धारण किए रहते हैं। यहां नगर के ह्रदयस्थल (इंदिरा गांधी चौक) समीप की सड़क पर वाहन चलाना लोगों के लिए मानो किसी जोखिम से कम नहीं है। गड्ढों और तीनों मुख्य मार्गों जशपुर मार्ग, रायगढ़ मार्ग एवं अंबिकापुर मार्ग में धूल से भरी सड़कों ने नागरिकों का जीना दूभर कर दिया है। कई वाहन गड्ढों की वजह से क्षतिग्रस्त होते हैं और वाहन चालकों को आर्थिक बोझ उठाना पड़ रहा है।

अगर बात करें तो यहां की ट्रैफिक लाइटें कुछ वर्ष से शो-पीस बनकर खड़ी हैं, लोग बिना रोक-टोक के यातायात नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं। जिसके बाद भी चाट ठेले, गुपचुप, एवं नाश्ता के होटलों में देर शाम एवं रात तक सड़कों पर चारपहिया वाहन खड़े होते है, और दिनदहाड़े ट्रकों की भरमार जोकि कई व्यापारिक प्रतिष्ठानों के सामने सामानों की लोडिंग अनलोडिंग करवाते दिखते है जिन्हें यह मालूम ही नहीं होता कि कई मर्तबा सड़क किनारे खड़ी वाहनों के चलते सड़कें खून से लाल हो चुकी है, यहां के सड़क की व्यवस्था कभी भी किसी बड़े हादसे का कारण बन सकती है।

नगर के स्थानीय नागरिकों का कहना है कि अगर समय पर गुणवत्तापूर्ण निर्माण कार्य होता तो ऐसी स्थिति नहीं बनती। विकसित भारत के नारे की धज्जियां यहां उड़ती दिखाई दे रही हैं। कई वार्डों में सड़कें इतनी जर्जर हैं कि पैदल चलना तक मुश्किल हो गया है, तो फिर नगर के मुख्य मार्गों की ऐसी हालत होनी कोई बड़ी बात नहीं। यहां सबसे बड़ी समस्या है कि बारिश के जल निकासी की व्यवस्था का अभाव है, सड़कों के किनारे नालियां न होने के कारण बरसात के दिनों में पानी सड़कों पर जम जाता है और धीरे-धीरे गड्ढों में तब्दील हो जाता है। अस्थायी तौर पर ह्रदयस्थल स्थित सड़क में गिट्टी और डस्ट डालकर गड्ढे भर दिए जाते हैं, लेकिन इससे जनता को राहत के बजाय और परेशानी झेलनी पड़ती है। ट्रकों के पीछे चलते लोग धूल फांकने को मजबूर होते हैं।
स्थानीय लोग व्यंग्य करते हुए कहते हैं–पत्थलगांव की सड़कों पर चलने के लिए अब मेकअप की जरूरत नहीं, सड़क की धूल ही लोगों का मेकअप कर देती है।

सबसे बड़ा सवाल यही है कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के गृहजिले जशपुर के इस नगर पालिका पत्थलगांव का विकास आखिर कब होगा? क्या लोग गड्ढों और धूल भरी सड़कों में ही अपनी जिंदगी जीने को मजबूर रहेंगे?


अब देखना यह है कि इस गंभीर विषय पर खबर सामने आने के बाद संबंधित विभाग क्या कदम उठाते हैं और क्या पत्थलगांव की सड़कें सच में सुधरती हैं या जनता भगवान भरोसे ही चलने को मजबूर रहेगी।
(पूर्व के दिनों में बरसात के मौसम पर सड़कों के हालात की खींची गई तस्वीर)







 

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