पत्थलगांव: शोध वही सार्थक है जो समय, समाज और सिद्धांत से संवाद करे

पत्थलगांव: शोध वही सार्थक है जो समय, समाज और सिद्धांत से संवाद करे

Dipesh rohila
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ठाकुर शोभासिंह महाविद्यालय में "शोध पद्धति" कार्यशाला का सफल आयोजन
पत्थलगांव (दिपेश रोहिला)। ठाकुर शोभासिंह शासकीय महाविद्यालय पत्थलगांव में दिनांक आज शुक्रवार को एक दिवसीय शोध पद्धति कार्यशाला का सफल आयोजन किया गया।कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. बी. के. राय ने की, जबकि मुख्य वक्ता के रूप में रावतपुरा विश्वविद्यालय, रायपुर के समाज कार्य विभाग के विभागाध्यक्ष एवं सहायक प्राध्यापक डॉ. नरेश कुमार गौतम उपस्थित रहे।

कार्यशाला के दौरान डॉ. गौतम ने शोध पद्धति विषय पर विस्तृत व्याख्यान देते हुए कहा कि शोध को केवल परिभाषाओं या तकनीकी विधियों से नहीं समझा जा सकता। इसे समय, परिस्थिति, कार्य और कारण से जोड़कर ही सही अर्थों में जाना जा सकता है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक युग में शोध की दिशा उस समय की सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक और वैचारिक परिस्थितियों से प्रभावित होती है।
डॉ. गौतम ने बताया कि आज के समय में शोध का स्वरूप बदल चुका है। अब शोध केवल एक विषय या अनुशासन तक सीमित नहीं रहा, बल्कि अंतर-अनुशासनिक शोध की आवश्यकता बढ़ गई है, जिससे समाज की जटिल समस्याओं को बहुआयामी दृष्टिकोण से समझा जा सके। उन्होंने कहा शोध केवल आंकड़ों या तथ्यों का संग्रह नहीं, बल्कि यह एक सैद्धांतिक समझ पर आधारित चिंतनशील प्रक्रिया है। बिना सैद्धांतिक आधार के शोध केवल सतही स्तर पर रह जाता है, उन्होंने विद्यार्थियों से आग्रह किया कि वे अपने शोध विषय की वैचारिक, ऐतिहासिक और सामाजिक पृष्ठभूमि को समझकर ही शोध प्रश्न तैयार करें तभी उनका कार्य सार्थक और प्रासंगिक बनेगा।

कार्यशाला के दौरान विद्यार्थियों और प्राध्यापकों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया तथा संवाद सत्र में शोध से जुड़े विविध प्रश्नों पर चर्चा की। अंत में महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. बी. के. राय ने मुख्य वक्ता डॉ. नरेश कुमार गौतम का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसी कार्यशालाएँ विद्यार्थियों में शोध की समझ, वैज्ञानिक दृष्टिकोण और विश्लेषणात्मक क्षमता को विकसित करती हैं। कार्यक्रम का सफल संचालन प्राध्यापकगणों द्वारा किया गया तथा धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यशाला का समापन हुआ।







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